- सुयश मिश्रा (पत्रकार) 

suyash mishra

लखनऊ: दबाव , प्रभाव, आभाव के बाद भी 15 साल से बगावत का शिलशिला बदस्तूर जारी है, कुशासन की दमनकारी नीतिया भी उस बरगद के पेड़ को हिला न सकी। कई सियारों ने झुण्ड बनाकर उस शेर का शिकार करना चाहा मगर सिर्फ हताशा ही उनके हाथ लगी। .....ऐसा साहसिक कलमकार किसी फ़ौज का मोहताज नहीं होता। उसकी कलम से निकला हर शब्द एक सैनिक है जो तीर की तरह हर आसुरी शक्तियों को घनघोर पीड़ा दे रहा है। आपका यह मिशन ऐसे ही चलता रहे और इन महिषासुरों को समय समय पर आईना दिखाता रहे।


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