panchayat chunav me juty bheed
'छोकलादार आलू' मिला कि नहीं...?
 —सुयश मिश्रा राजनैतिक महक को देखते हुए बरशों से कुम्भकरण रूपी नेताओं की नींदे हराम हो चली हैं......भट्ठियों पर कढ़ाईयां चढ़ गई हैं ''छोकलादार आलू'' की महक नाक में जम सी गयी है...आंटे की बनी अकूत पूड़ियां बयां कर रही हैं कि विशाल भण्डारे का प्रबंध है...इंसान ही नहीं जानवर भी आज—कल छके—छके से लग रहे हैं..पिछले पांच वर्षों से भूखी जनता इस मौके को गवाना नहीं चाहती क्योंकि दोगले नेताओं का भरोसा नहीं जीतने के बाद कुछ करेंगे या नहीं...मदिरा की भी समुचित व्यवस्था है..सौखीन मनुष्य इसका भी अस्वादन कर रहे हैं...बड़ती लोकप्रियता के चलते कुछ ने तो नया सौक भी पाल लिया है...और हां अगर आपका परिवार थोड़ा बड़ा है और वोटरों की संख्या अधिक है तो धन का भी प्रबंध है..29 को चुनाव है इससे पहले अगर आप पर कोई संकट आता है तो परेशान न होइएगा यहां कोई हल्का नहीं है सभी प्रत्याशी पलक पावड़े बिछाए मदद के लिए छीना—झपटी तक करने को तैयार हैं...आप समझ सकते हैं कि प्रधानी का बुखार कितना डैंजर होता है...अब 29 तक इसकी पीड़ा सहनी ही पड़ेगी क्योंकि हमारे गांव में भी नेताओं की कमी नहीं हैं यहा पर अम्मू, चन्नू, अन्न, बन्न्, चिर्रा, अरें अब क्या बताएं बस यूं समझो हर दूसरे घर में दो—चार है..और धीरे—धीरे संख्या बढ़ रही है...अब आप समझ सकते हैं कि कितना मुश्किल है इसे निपटाना... 

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