वन इंडिया » हिन्दी » समाचार » फीचर खतरों और हौसलों की कहानी है अरुणिमा सिन्‍हा Written by: सुयश मिश्रा Published: Sunday, September 8, 2013, 13:42 [IST] Use ← → keys to browse more stories कहते हैं हवा के अनुकूल चलने वाला जहाज कभी बन्दरगाह नहीं पहुंचता। प्रतिकूल परिस्थितियों में जो अपने लक्ष्य से विचलित नही होता सफलता उसके कदम चूमती है। कृत्रिम पैर के सहारे हिमालय की सबसे ऊॅंची चोटी 'माउंट एवरेस्ट' फतह कर उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर का नाम रोशन करने वाली अरुणिमा सिन्हा कहती हैं, मेरा कटा पांव मेरी कमजोरी था। उसे मैने अपनी ताकत बनाया। बास्केट बॉल खिलाड़ी अरुणिमा को 11 अप्रैल 2011 की वह काली रात आज भी याद आती है, जब पद्मावत एक्सप्रेस से वह दिल्ली जा रही थीं। बरेली के पास कुछ अज्ञात बदमाशों ने उनके डिब्बे में प्रवेश किया। अरुणिमा को अकेला पाकर वे उनकी चेन छीनने लगे। छीना-झपटी के बीच बदमाशों ने उन्हें ट्रेन से नीचे फेक दिया। जिससे उनका बांया पैर कट गया। लगभग सात घण्टों तक वे बेहोशी की हालत में तड़पती रहीं। इस दौरान दर्जनों ट्रेने गुज़र गईं। सुबह टहलने निकले कुछ लोगों ने जब पटरी के किनारे अरुणिमा को बेहोशी की हालत में पाया तो तुरंत अस्पताल पहुंचाया। जब मीडिया सक्रिय हुआ तो अरुणिमा को दिल्‍ली के एम्‍स में भर्ती कराया गया। एम्स में इलाज के दौरान उनका बाया पैर काट दिया गया। तब लगा बास्‍केट बॉल की राष्‍ट्रीय स्‍तर की खिलाड़ी अरुणिमा अब जीवन में कुछ नहीं कर पायेगी। लेकिन उन्होंने जि़न्दगी से हार नहीं मानी। अरुणिमा की आंखों से आंसू निकले, लेकिन उन आंसुओं ने उन्‍हें कमजोर करने के बजाये साहस प्रदान किया और देखते ही देखते अरुणिमा ने दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्‍ट पर चढ़ने की ठान ली। अरुणिमा ने ट्रेन पकड़ी और सीधे जमशेदपुर पहुंच गईं। वहां उन्‍होंने एवरेस्ट फतह कर चुकी बछंद्री पाल से मुलाकात की। फिर तो मानो उनके पर से लग गये। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 31 मार्च को उनका मिशन एवरेस्ट शुरु हुआ। 52 दिनों की इस चढ़ाई में 21 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर वे विश्व की पहली विकलांग पर्वतारोही बन गईं। अरुणिमा का कहना है विकलांगता व्यक्ति की सोच में होती है। हर किसी के जीवन में पहाड़ से ऊंची कठनाइयां आती हैं, जिस दिन वह अपनी कमजोरियों को ताकत बनाना शुरू करेगा हर ऊॅंचाई बौनी हो जायेगी। स्‍लाइडर में प्रस्‍तुत हैं अरुणिमा से खास बातचीत के कुछ अंश।

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